घटती हरियाली वन्य जीवों के लिये बनी मुसीबत का सबब
हमीरपुर – उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले में वन क्षेत्र का घटता क्षेत्रफल और शिकारियों की काली नजर वन्य जीवों के अस्तित्व के लिये संकट का सबब बनी हुयी है। पर्यावरणविद सुशील द्विवेदी ने बताया कि बुन्देलखंड तीन दशक पहले पानी के अभाव और बढ़ते वन क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। जिले में वन क्षेत्र 23 हजार हेक्टेयर मे फैला हुआ है जिस पर लगातार अवैध कब्जा किया जा रहा है। वनो पर हो रहे अवैध कटान के कारण यहां प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। मौदहा क्षेत्र के खंडेह गांव के जंगल में सैकड़ों की तादाद में काले हिरन पाये जाते थे। आज इस क्षेत्र मे एक भी काला हिरन नही है। शिकारियो ने शिकार कर यहा के काले हिरनों को समाप्त कर दिया है।
यही नही वन क्षेत्र के गांवो की मुंडेरो में सुबह मोर अपने सुनहरे पंख लेकर इधर उधर घूमती नजर आती थी जो आज जंगल में मोर दिखायी नही देती है। इसके लिये वन विभाग का सिस्टम पूरी तरह जिम्मेदार है। श्री द्विवेदी ने कहा कि नदियो के किनारे वन क्षेत्रों पर प्रशासन द्वारा लगातार निर्माण कार्य कराने से वहां पर रहने वाले ज्यादातर जीव जंतु रिहायशी बस्ती में घुस जाते है जहां जनता उनको मौत के घाट उतार देती है।
उन्होने कहा कि वन विभाग अपनी आंकड़ो की बाजीगरी के चलते वन क्षेत्र के सिकुड़ने की रिपोर्ट शासन को नही दे रहा है जबकि हर साल क्षेत्र के पांच फीसदी क्षेत्र की कटान हो जाती है। जंगल कम हो रहे है और वन्य जीवों के अधिवास का स्थान बेहद कम हो रहा है। नतीजन ज्यादातर प्रजातियां विलुप्त होती जा रही है। यही नही नदियो में मछलियां लगातार कम होती जा रही है। बेतवा व यमुना नदी का जल इतना प्रदूषित हो गया है कि कुंटल मछलियां प्रदूषित पानी में मर जाती है मगर इसके लिये शासन कोई उपाय नही कर रहा है।
पर्यावरणविद जलीश खान ने बताया कि बुन्देलखंड में जब से विलायती काटेदार बबूल की अधिकता हो गयी, तब से रेगने वाले जंतु जैसे सर्प, केचुआ व अन्य छोटे छोटे जीव कांटो मे फंस कर अपनी जान गंवा देते है। सियार की आवाज अब गांवों में सुनायी नही देती है। हालांकि शासन वन विभाग को वन्य जीव संरक्षण के लिये अलग से बजट देता है मगर उसका कोई लाभ नही मिल रहा है।
डीएफओ नरेंद्र सिंह का कहना है कि वन्य जीवो का कोई नुकसान न होने पाये, इसके लिये प्रयास किया जा रहा है, छोटे छोटे जीव विलुप्त हो रहे है, इसके लिये वातावरण भी जिम्मेदार होते है बुन्देलखंड मे इतनी गर्मी पड़ती है कि जीव
जंतु उसे सहन नही कर पाते है और दम तोड़ देते है।