समझिए लोकेशन ट्रेसिंग के जरिए एप्स कैसे आपकी पर्सनल जानकारी चुराते हैं?
लंदन. जब आप अपने स्मार्टफोन में कोई एप इंस्टाल करते हैं तो कई तरह की परमिशन भी देते हैं। क्या आपको पता है कि एप्स आपके स्मार्टफोन से आपकी पर्सनल जानकारी चुराते हैं। रिसर्चरों ने अब इस पर बड़ी स्टडी की है। उन्होंने यह देखा है कि लोकेशन ट्रैकिंग डाटा से ही ये एप्स आपकी बहुत संवेदनशील पर्सनल जानकारी चुराते हैं।
इटली की यूनिवर्सिटी ऑफ बोलोग्ना के दो रिसर्चर और ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के रिसर्चर बेंजामिन बेरॉन ने बताया कि लोगों के स्मार्टफोन से ऐसी जानकारी निकालना उनकी निजता के खिलाफ है। एप्स लोकेशन डाटा के जरिए यह पता लगाते हैं कि यूजर कहां रहता है, उसकी आदतें क्या हैं, उसे क्या अच्छा लगता है और उसकी पर्सनालिटी कैसी है। यूनिवर्सिटी ऑफ बोलोग्ना के मिर्को मुसोलेसी ने कहा कि आमतौर पर लोग एप की प्राइवेसी पॉलिसी पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। एप जो भी परमीशन मांगता है लोग उसे दे देते हैं।
रिसर्चरों ने खुद एप बनाकर की स्टडी
रिसर्चरों ने एक मोबाइल एप्लीकेशन “ट्रैकिंग एडवाइजर” बनाया है जो यूजर की लोकेशन को लगातार जुटाता है। स्टडी के लिए रिसर्चरों ने 69 लोगों के मोबाइल में अपना एप ट्रैक एडवाइजर दो हफ्ते के लिए डाला। एप ने दो लाख से ज्यादा लोकेशन को ट्रैक किया। 2500 जगहों की पहचान की और पर्सनल जानकारी से जुड़ी करीब 5000 जानकारी इकट्ठा कीं। जुटाए गए डाटा से लोगों की बहुत संवेदनशील जानकारी का भी पता चलता है। जैसे कि उनकी सेहत, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, जाति और धर्म। रिसर्चरों ने कहा कि इसी तरह कंपनियां अपने एप के जरिए लोगों की पर्सनल जानकारी चुराती हैं ये डाटा थर्ड पार्टी को बेचा भी जाता है। जिससे अलग-अलग यूजर की पर्सनालिटी के हिसाब से उसे अलग-अलग विज्ञापन दिखाए जाते हैं।