भारत 2027 तक ‘लिम्फेटिक फाइलेरियासिस’ को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध: स्वास्थ्य मंत्री मांडविया
नयी दिल्ली – केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत बहु-साझेदार और बहु-क्षेत्रीय लक्षित अभियान के माध्यम से वैश्विक लक्ष्य से तीन साल पहले 2027 तक ‘लिम्फेटिक फाइलेरियासिस’ को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। मांडविया ने बृहस्पतिवार को यहां पूरे देश में दवा देने संबंधी वार्षिक राष्ट्रव्यापी ‘मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन’ (एमडीए) पहल के दूसरे चरण का उद्घाटन किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘जनभागीदारी और पूरी सरकार और पूरे समाज के दृष्टिकोण के माध्यम से हम देश से इस बीमारी को खत्म करने में सक्षम होंगे।’’
दस अगस्त से शुरू हुए अभियान का दूसरा चरण इस बीमारी से मुक्त नौ राज्यों – असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के 81 जिलों को कवर करेगा। छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव और उत्तर प्रदेश के उनके समकक्ष ब्रजेश पाठक, ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री निरंजन पुजारी और असम के उनके समकक्ष केशब महंत और झारखंड के बन्ना गुप्ता डिजिटल माध्यम से उद्घाटन समारोह में शामिल हुए। सभा को संबोधित करते हुए मांडविया ने कहा, ‘‘प्रयास केवल दवाएं लेने तक ही सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि मच्छरों के माध्यम से फैलने वाली बीमारियों को खत्म करने में भी मदद करनी चाहिए जिसके बिना हमारे लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रगति काफी हद तक बाधित होगी।’’
केंद्रीय मंत्री ने स्वस्थ राष्ट्र सुनिश्चित करने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों के बीच तालमेल बढ़ाने पर भी जोर दिया। अन्य लोगों के बीच ‘नि-क्षय’ मित्र का उदाहरण देते हुए स्वास्थ्य में ‘जन आंदोलन’ की सफलता को रेखांकित करते हुए मांडविया ने कहा, ‘‘जमीनी स्तर से शुरू होने वाले सभी हितधारकों की भागीदारी से सामुदायिक जुड़ाव इस मिशन में सफलता हासिल करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।’’ जन-आंदोलनों की व्यापक पहुंच को रेखांकित करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘‘जागरूकता सृजन को शामिल करना और गांवों, पंचायतों में संचार अभियान सुनिश्चित करना आंदोलन को प्रेरित करेगा जिससे पूरे देश में व्यापक पहुंच होगी।’’
प्रयासों को और मजबूत करने के लिए मांडविया ने इस बीमारी को खत्म करने के उपाय के रूप में स्वास्थ्यकर्मियों या पेशेवरों के सामने दवा की खपत पर अधिक जोर देने की वकालत की। इस अवसर पर डेंगू बुखार और चिकनगुनिया बुखार के नैदानिक प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देशों की शुरुआत की गई। भाषा